Rajani katare

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रब का फलसफ़ा पूर्णिका

      "रब का फलसफ़ा" पूर्णिका

सबको बनाया उसने, दीवाना बनाना जानता है, 
वो कठपुतली सा सबको, नचाना जानता है, 

कैसा लेखा जोखा है उसका, अनगिनत लोगों में, 
पल की खबर रखता वो, सबका ठिकाना जानता है,

परिस्थितियों का मेला, सुख दुख आते जीवन में, 
उन स्थितियों से वो परवरदिगार, उबारना जानता है, 

कब उसने क्या करा, एहसान कुछ जताता नहीं, 
थोड़ा भी करा इंसा तूने, एहसान जताना जानता है,

हिसाब सबका रखता'हेम', रब का अपना फलसफ़ा, 
जिसका समय आता है, वो पास बुलाना जानता है ।

     काव्य रचना- रजनी कटारे
            जबलपुर म. प्र.

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4 Comments

वाह, लाजवाब रचना 👌👌

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Woow लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Abhinav ji

05-Apr-2023 08:17 AM

Very nice 👌

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